बीएसएनएल और एमटीएनएल के 92,678 कर्मचारियों ने ऐच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) का विकल्प चुना है। इससे सालाना 8,800 करोड़ रुपए की बचत होने की उम्मीद है। वीआरएस स्कीम चुनने का मंगलवार को आखिरी दिन था।
के 78,300 और एमटीएनएल के 14,378 कर्मचारियों ने वीआरएस लिया है। इसके बाद बीएसएनएल के 50% और एमटीएनएल के 76% कर्मचारी कम हो गए। बीएसएनएल के चेयरमैन और एमडी पी के पुरवार ने बताया कि वीआरएस के अलावा करीब 6,000 अन्य कर्मचारी भी रिटायर हो चुके हैं। इससे कंपनी के वेतन-भत्तों का सालाना खर्च 14,000 करोड़ रुपए से घटकर 7,000 करोड़ रुपए रह जाएगा।
एमटीएनएल के चेयरमैन और एमडी सुनील कुमार ने कहा कि कर्मचारियों की संख्या घटने से सालाना वेतन का खर्च 2,272 करोड़ रुपए से घटकर 500 करोड़ रह जाएगा। अब सिर्फ 4,430 कर्मचारी बचे हैं। इतने लोग कंपनी चलाने के लिए पर्याप्त हैं।
घाटे में चल रही दोनों कंपनियों का वेतन-भत्तों का खर्च बहुत ज्यादा था। बीएसएनएल और एमटीएनएल के रिवाइवल के लिए सरकार ने अक्टूबर में पैकेज का ऐलान किया था। इसके तहत एमटीएनएल के बीएसएनएल में मर्जर और दोनों कंपनियों के कर्मचारियों के लिए वीआरएस योजना पेश की गई।
बीएसएनएल को 2018-19 में 14,904 करोड़ रुपए का घाटा हुआ। इस दौरान एमटीएनएल 3,398 करोड़ के नुकसान में रही। दोनों कंपनियों पर कुल 40,000 करोड़ रुपए का कर्ज है।