एयर इंडिया का विनिवेश सफल बनाने के लिए सरकार विदेशी नियंत्रण के नियम में ढील दे सकती है

एयर इंडिया में विनिवेश के लिए सरकार विदेशी नियंत्रण के नियम में ढील दे सकती है। ब्लूमबर्ग ने सूत्रों के हवाले से मंगलवार को ये रिपोर्ट दी। इसके मुताबिक डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनल ट्रेड ने उड्डयन मंत्रालय को पिछले महीने ऐसा सुझाव दिया था। मौजूदा नियमों के मुताबिक देश में एयरलाइन का नियंत्रण भारतीय हाथों में होना जरूरी है। ये नियम भी एयर इंडिया में विनिवेश की कोशिश पिछले साल विफल रहने की एक वजह माना गया था।


सब्सटेंशियल ऑनरशिप एंड इफेक्टिव कंट्रोल (अत्यधिक मालिकाना हक और प्रभावी नियंत्रण) क्लॉज हटने से विदेशी हिस्सेदारों का भारतीय एयरलाइंस पर नियंत्रण बढ़ेगा। इससे एयर इंडिया के लिए विदेशी निवेशक आगे आ सकते हैं। सरकार को विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाने के लिए राजनीतिक विवादों वाला रूट अपनाने की जरूरत भी नहीं पड़ेगी।


विदेशी एयरलाइंस किसी भारतीय एयरलाइन में फिलहाल 49% से ज्यादा हिस्सेदारी नहीं खरीद सकतीं। एयरलाइंस के अलावा अन्य विदेशी निवेशकों को 49% से ज्यादा शेयर खरीदने के लिए सरकार की मंजूरी लेनी होती है।


एयर इंडिया को मार्च 2020 तक बेचने की योजना है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक एयरलाइन पर 78 हजार करोड़ रुपए का कर्ज है। इसमें से खरीदार को सिर्फ 30 हजार करोड़ रुपए की जिम्मेदारी देने की योजना पर भी विचार किया जा रहा है। सरकार 15 दिसंबर को निवेशकों से बोलियां मांगने का प्रस्ताव जारी कर सकती है। चालू वित्त वर्ष (2019-20) में सरकार का 1 लाख करोड़ रुपए के विनिवेश का लक्ष्य है।


वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में कहा था कि सरकार एविएशन सेक्टर में विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाने के सुझावों पर विचार करेगी। सरकार रिटेल, मैन्युफैक्चरिंग और कोल माइनिंग में निवेश के नियमों को पहले ही आसान कर चुकी है।